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HPSC ASSISTANT PROFESSOR BOOK AND TEST SERIES IN ALL TYPES OF SUBJECT IN JUST 599

23 November 2024 by
HPSC ASSISTANT PROFESSOR BOOK AND TEST SERIES IN ALL TYPES OF SUBJECT IN JUST 599
EDUFOX

The HPSC (Haryana Public Service Commission) Assistant Professor recruitment typically focuses on hiring for higher education institutions in Haryana. SEO (Subject Expert Officer or related roles) might not directly align, but I’ll assume you’re looking for details about Assistant Professor recruitment or something similar.

Key Points for HPSC Assistant Professor Recruitment: FOR ENGLISH BOOK  https://www.edufoxindia.org/shop/hpsc-assistant-professor-english-part-1-part-2-booklets-and-pyq-booklet-online-test-series-70-all-type-of-test-44?page=3


  1. FOR ALL TYPES OF BOOK https://www.edufoxindia.org/shop/page/2?

  • Education: Master’s degree in the relevant subject with at least 55% marks.
  • NET/SET/SLET Requirement: Candidates must qualify for UGC NET/SET or SLET. Certain exceptions apply for candidates with a PhD as per UGC regulations.
  • Age: Typically between 21-42 years, with relaxations for reserved categories.

2. Selection Process:

  • Written Exam: Objective-type questions based on the subject.
  • Interview: Assessment of subject knowledge and teaching aptitude.
  • Document Verification: Verification of educational qualifications and experience.

3. Exam Pattern:

  • Usually includes sections like:
    • Subject-specific questions
    • General awareness
    • Teaching aptitude (in some cases)

4. Syllabus:

  • The syllabus often aligns with UGC NET for the respective subject.

5. How to Apply:

  • Applications are submitted online through the official HPSC website (hpsc.gov.in).
  • Fees and deadlines vary by category and recruitment year.

6. SEO or Similar Roles:

FOR COMPUTER SCIENCE

 https://www.edufoxindia.org/shop/hpsc-assistant-professor-computer-science-part-1-part-2-booklets-and-pyq-booklet-online-test-series-70-all-type-of-test-42?page=2

If "SEO" relates to Subject Expert Officers or academic roles beyond teaching, you may need to confirm with specific notifications, as these details may vary.

The HPSC Assistant Professor Recruitment 2024 is an extensive hiring initiative by the Haryana Public Service Commission to fill 2,424 vacancies across various subjects in state colleges. Here are the key details:

Eligibility Criteria:https://www.edufoxindia.org/shop/page/2?

  1. Education: A Master’s degree in the relevant subject with at least 55% marks. UGC NET/SET/SLET qualification or a Ph.D. is required (Ph.D. is desirable but not mandatory).
  2. Language Proficiency: Knowledge of Hindi/Sanskrit up to Matric level or higher.
  3. Age Limit: 21 to 42 years (relaxations apply for SC/ST/OBC categories).

Application Process:https://www.edufoxindia.org/shop/page/2?

  • Application Dates: Online applications reopened on November 6, 2024, and closed on November 12, 2024.
  • Application Fees: ₹1,000 for General male candidates, ₹250 for females and reserved categories, and no fee for PwD candidates.
  • How to Apply: Visit the official HPSC website hpsc.gov.in, fill out the application form, upload necessary documents, and pay the fees online​Adda247TestbookJob Information.

Selection Process:

  1. Screening Test: 100 objective-type questions.
  2. Subject Knowledge Test: Descriptive test with 150 marks.
  3. Interview: Weighs 12.5% of the total marks.
  4. Final Merit: Based on combined scores from all stages​Haryana JobsExam Stocks.

Salary:https://www.edufoxindia.org/shop/page/2?

Assistant Professors are paid as per Level-10 of the 7th Pay Commission, starting at ₹57,700 and going up to ₹1,82,400 per month, plus allowances

Subjects and Vacancieshttps://www.edufoxindia.org/shop/page/2?

The recruitment covers 2,424 posts distributed across various subjects. Some major subjects include:

  • English: 613 vacancies
  • Geography: 316 vacancies
  • Mathematics: 163 vacancies
  • Commerce: 153 vacancies
  • Hindi: 139 vacancies
  • Zoology: 91 vacancies

Application Timelinehttps://www.edufoxindia.org/shop/page/2?

Exam Patternhttps://www.edufoxindia.org/shop/page/2?

  1. Screening Test:
    • 100 objective questions, carrying 25% of the total weightage.
    • Negative marking: 0.25 marks deducted per incorrect answer.
  2. Subject Knowledge Test:
    • A descriptive exam with 150 marks (87.5% of weightage).
  3. Interview:
    • Carries 12.5% weightage.

Eligibility

Salary

The pay scale ranges from ₹57,700 to ₹1,82,400 per month, along with other benefits and allowances under the 7th Pay Commission​

Adda247Haryana Jobs.

Application Processhttps://www.edufoxindia.org/shop/page/2?

  1. Visit HPSC Official Website.
  2. Register and log in.
  3. Fill the application form, upload required documents, and pay fees.
  4. Download and print the application for future reference​Haryana JobsJob Information.

Documents Requiredhttps://www.edufoxindia.org/shop/page/2?

  • Passport-sized photograph and signature.
  • Academic certificates (10th, 12th, Master’s degree).
  • ID proof (Aadhaar/PAN/Passport).
  • Caste certificate (if applicable).
  • Log inSign up
  • You said:
  • Application Timeline
  • Exam Pattern
    • Screening Test:
      • 100 objective questions, carrying 25% of the total weightage.
      • Negative marking: 0.25 marks deducted per incorrect answer.
    • Subject Knowledge Test:
      • A descriptive exam with 150 marks (87.5% of weightage).
    • Interview:
      • Carries 12.5% weightage.
  • Eligibility
    • Education: Master’s degree with at least 55% marks in the relevant subject.
      • NET/SET/SLET qualified or a Ph.D.
    • Age: 21–42 years as of June 1, 2024, with age relaxations​Adda247Testbook.
  • Salary
  • The pay scale ranges from ₹57,700 to ₹1,82,400 per month, along with other benefits and allowances under the 7th Pay Commission​
  • Adda247Haryana Jobs.
  • Application Process
  • Documents Required
    • Passport-sized photograph and signature.
    • Academic certificates (10th, 12th, Master’s degree).
    • ID proof (Aadhaar/PAN/Passport).
    • Caste certificate (if applicable).
  • असिस्टेंट प्रोफेसर एक प्रारंभिक-करियर शैक्षिक है जो एक कॉलेज या विश्वविद्यालय में एक टेनेर-ट्रैक पद पर कार्य करता है। यह पद सामान्यत: टेनेर (स्थायी) फैकल्टी भूमिका की दिशा में पहला कदम होता है, जिसमें शिक्षा, अनुसंधान, और शैक्षिक समुदाय की सेवा की अपेक्षाएँ होती हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर के कर्तव्यों, योग्यताओं और अपेक्षाओं का एक सामान्य अवलोकन इस प्रकार है:
  • मुख्य जिम्मेदारियाँ:
    • https://www.edufoxindia.org/shop/page/2?शिक्षण:
      • स्नातक या स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रमों को तैयार और प्रस्तुत करना।
      • व्याख्यान, असाइनमेंट, परीक्षा और मूल्यांकन तैयार करना।
      • विद्यार्थियों को कार्यालय समय देना और शैक्षिक मार्गदर्शन करना।
      • पाठ्यक्रम विकास और समीक्षा में भाग लेना।
    • अनुसंधान:
      • अपने क्षेत्र में स्वतंत्र अनुसंधान करना।
      • अनुसंधान के परिणामों को शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित करना या सम्मेलनों में प्रस्तुत करना।
      • अनुसंधान वित्त पोषण प्राप्त करने के लिए अनुदान या साझेदारियों की तलाश करना।
      • स्नातकोत्तर छात्रों या अनुसंधान सहायकों का मार्गदर्शन करना (यदि लागू हो)।
    • सेवा:
      • विभागीय बैठकों और विश्वविद्यालय समितियों में भाग लेना।
      • शैक्षिक बोर्डों पर कार्य करना या प्रशासनिक भूमिकाएँ निभाना।
      • विश्वविद्यालय पहलों और सामुदायिक आउटरीच में योगदान देना।
    • व्यावसायिक विकास:
      • अपने क्षेत्र में अद्यतन रहने के लिए निरंतर सीखना।
      • सहयोगियों के साथ, विश्वविद्यालय के भीतर और बाहर, सहयोग करना।
  • योग्यताएँ:
    • https://www.edufoxindia.org/shop/page/2?शैक्षिक योग्यता:
      • संबंधित क्षेत्र में Ph.D. या समकक्ष टर्मिनल डिग्री आमतौर पर आवश्यक होती है, हालांकि कुछ क्षेत्रों में पेशेवर अनुभव के साथ मास्टर डिग्री की अनुमति हो सकती है।
      • अनुसंधान क्षमता का प्रदर्शन, जो अक्सर प्रकाशनों, प्रस्तुतियों, या अनुदान प्राप्त करने वाले अनुसंधान परियोजनाओं के माध्यम से होता है।
    • अनुभव:
      • पूर्व शिक्षण अनुभव वांछनीय होता है, हालांकि यह हमेशा आवश्यक नहीं होता है। पोस्टडॉक्टोरल अनुभव या मजबूत अनुसंधान पोर्टफोलियो होना फायदेमंद हो सकता है।
    • कौशल:
      • शैक्षिक और सहयोगात्मक कार्य के लिए मजबूत संवाद और व्यक्तिगत कौशल।
      • अनुसंधान विधियों, डेटा विश्लेषण, और शैक्षिक लेखन में दक्षता।
      • स्वतंत्र रूप से और टीम में काम करने की क्षमता।
  • टेनेर ट्रैक और अपेक्षाएँ:
    • असिस्टेंट प्रोफेसर की भूमिका आमतौर पर टेनेर-ट्रैक होती है, जिसका मतलब है कि एक परीक्षण अवधि (साधारणतः 5-7 साल) होती है, जिसके दौरान फैकल्टी सदस्य को शिक्षण, अनुसंधान और सेवा में उत्कृष्टता दिखानी होती है। इस अवधि के बाद, यदि फैकल्टी सदस्य आवश्यक मानदंडों को पूरा करता है, तो उसे एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में पदोन्नति मिल सकती है और स्थायी (टेनेर) नियुक्ति प्राप्त हो सकती है।
  • पदोन्नति और टेनेर:
    • टेनेर-ट्रैक के सफल समापन के बाद, एक असिस्टेंट प्रोफेसर को एसोसिएट प्रोफेसर (टेनेर के साथ) में पदोन्नत किया जा सकता है, जो नौकरी की सुरक्षा और अनुसंधान और शिक्षण में अधिक स्वायत्तता प्रदान करता है।
    • टेनेर निर्णय आमतौर पर निम्नलिखित आधारों पर लिया जाता है:
      • अनुसंधान उत्पादन और गुणवत्ता (प्रकाशन, अनुदान, और प्रभाव)।
      • शिक्षण प्रभावशीलता (छात्र मूल्यांकन, सहकर्मी समीक्षा, शिक्षा में नवाचार)।
      • संस्थान की सेवा (समिति कार्य, मार्गदर्शन, आउटरीच)।
  • वेतन और लाभ:
    • वेतन संस्थान, क्षेत्र, स्थान, और सार्वजनिक या निजी विश्वविद्यालय होने के आधार पर भिन्न हो सकता है।
    • लाभ में आमतौर पर स्वास्थ्य बीमा, पेंशन योजनाएँ, और छुट्टियाँ शामिल होती हैं, लेकिन ये संस्थान के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।
  • कार्य वातावरण:
    • असिस्टेंट प्रोफेसर के कार्य वातावरण में शिक्षण, अनुसंधान, और प्रशासनिक कर्तव्यों का मिश्रण होता है।
    • उन्हें अन्य फैकल्टी सदस्यों के साथ सहयोग करने, छात्रों के साथ संवाद करने और विभागीय या अंतःविभागीय पहलों में भाग लेने का अवसर मिलता है।
  • चुनौतियाँ:
    • शिक्षण, अनुसंधान और सेवा कर्तव्यों का संतुलन रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर टेनेर ट्रैक के शुरुआती वर्षों में।
    • अनुसंधान प्रकाशित करने और अनुदान प्राप्त करने का दबाव भी महत्वपूर्ण हो सकता है।
  • आगे का रास्ता:
    • यदि सफल होते हैं, तो एक असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर (टेनेर के साथ) के रूप में पदोन्नत हो सकता है और अंततः पूर्ण प्रोफेसर तक पहुँच सकता है, जो अकादमिक करियर की ऊँचाई होती है।
    • असिस्टेंट प्रोफेसर का कार्यभार और दायित्व:
    • असिस्टेंट प्रोफेसर का कार्यक्षेत्र केवल शिक्षण तक सीमित नहीं होता है, बल्कि इसमें अनुसंधान, शैक्षिक समुदाय के प्रति सेवा, और अकादमिक प्रशासन में योगदान देना भी शामिल होता है। चलिए, इन पहलुओं को और गहराई से समझते हैं:
    • 1. शिक्षण का महत्व:
      • पाठ्यक्रम डिज़ाइन और प्रस्तुति: असिस्टेंट प्रोफेसर को अपने विषय के पाठ्यक्रमों को डिज़ाइन और सुधारने का जिम्मा होता है। इसमें न केवल सामान्य पाठ्यक्रम तैयार करना, बल्कि विद्यार्थियों को उस विषय में गहराई से जानकारी देना भी शामिल होता है।
      • विद्यार्थियों के साथ बातचीत: विद्यार्थियों के साथ समय बिताना, उनके सवालों के जवाब देना, और व्यक्तिगत मार्गदर्शन (academic advising) प्रदान करना असिस्टेंट प्रोफेसर की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
      • विविध शिक्षण विधियाँ: असिस्टेंट प्रोफेसर को अपनी शिक्षण विधियों को लगातार विकसित करना पड़ता है ताकि छात्रों को सर्वोत्तम शैक्षिक अनुभव मिल सके। इसमें ऑनलाइन कक्षाएं, समूह कार्य, प्रयोगशाला सत्र, और अन्य शैक्षिक गतिविधियाँ शामिल हो सकती हैं।
    • 2. अनुसंधान का योगदान:https://www.edufoxindia.org/shop/page/2?
      • स्वतंत्र अनुसंधान: असिस्टेंट प्रोफेसर को अपने क्षेत्र में स्वतंत्र अनुसंधान करना होता है। यह नए सिद्धांतों, विचारों और तकनीकों का अनावरण करने का अवसर प्रदान करता है।
      • अनुसंधान प्रकाशन: अधिकांश विश्वविद्यालयों में शोध परिणामों को प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं और सम्मेलन में प्रकाशित करना आवश्यक होता है। यह न केवल अकादमिक समुदाय में प्रतिष्ठा बढ़ाता है बल्कि कैरियर के विकास में भी सहायक होता है।
      • अनुदान प्राप्त करना: अनुसंधान के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। विभिन्न सरकारी और निजी एजेंसियों से अनुदान प्राप्त करने की प्रक्रिया भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है।
    • 3. सामुदायिक और विश्वविद्यालय सेवा:
      • समिति में भागीदारी: असिस्टेंट प्रोफेसर को विभिन्न विभागीय और विश्वविद्यालय समितियों में भाग लेना पड़ सकता है, जो शैक्षिक सुधार, छात्र कल्याण, या संस्थागत नीतियों से संबंधित होती हैं।
      • विद्यार्थियों के मार्गदर्शन में सहयोग: छात्रों के मार्गदर्शन में सहायक भूमिका निभाना, उनके शोध कार्यों की देखरेख करना और अकादमिक प्रगति पर नजर रखना आवश्यक होता है।
      • कॅम्पस और बाहरी समुदाय में सहभागिता: विश्वविद्यालय की गतिविधियों, समर्पित सामुदायिक कार्यक्रमों, और सार्वजनिक आउटरीच में भागीदारी असिस्टेंट प्रोफेसर की जिम्मेदारी हो सकती है।
    • 4. टेन्योर और प्रोन्नति:
      • टेनेर ट्रैक प्रक्रिया: असिस्टेंट प्रोफेसर आमतौर पर टेनेर ट्रैक पर होता है, जिसका मतलब है कि वे एक निर्धारित समय (साधारणतः 5-7 साल) के भीतर अपनी कार्यकुशलता दिखाते हैं, जिसमें शैक्षिक और अनुसंधान क्षेत्रों में योगदान आवश्यक होता है। इसके बाद, यदि वे अपेक्षाएँ पूरी करते हैं, तो उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर और टेनेर स्थिति मिल सकती है।
      • प्रोन्नति के मानदंड: टेनेर प्राप्त करने के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर को:
        • गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान प्रकाशित करना।
        • प्रभावी ढंग से शिक्षण करना।
        • विश्वविद्यालय में सेवा प्रदान करना।
      • फुल प्रोफेसर बनने के बाद: असिस्टेंट प्रोफेसर के पद से प्रोफेसर बनने के बाद उन्हें उच्चतम शैक्षिक स्वतंत्रता और पहचान मिलती है।
    • असिस्टेंट प्रोफेसर की चुनौतियाँ:
      • समय प्रबंधन की चुनौती: असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए शैक्षिक, अनुसंधान, और प्रशासनिक कार्यों का सही तरीके से संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती हो सकती है। इन तीनों क्षेत्रों में उत्कृष्टता बनाए रखना और एक संतुलित जीवन जीना कठिन हो सकता है।
      • प्रकाशन दबाव: अकादमिक क्षेत्र में सफलता पाने के लिए निरंतर अनुसंधान और प्रकाशन आवश्यक होते हैं, जो एक असिस्टेंट प्रोफेसर पर भारी दबाव डाल सकते हैं। विभिन्न प्रमुख जर्नल्स में प्रकाशित करना और समीक्षकों की आलोचना से निपटना एक मानसिक चुनौती हो सकती है।
      • अनुदान प्राप्ति की प्रतिस्पर्धा: अनुसंधान कार्यों के लिए अनुदान प्राप्त करना कठिन हो सकता है, क्योंकि यह प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया होती है। इसके लिए अच्छे प्रस्तावों, नेटवर्किंग और सहकर्मियों से मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
      • विद्यार्थी मूल्यांकन: विद्यार्थियों द्वारा दिए गए मूल्यांकन परिणामों का असर असिस्टेंट प्रोफेसर की पेशेवर प्रतिष्ठा पर पड़ सकता है। इसलिए, शिक्षण में उत्कृष्टता बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है।
    • आगे के अवसर और मार्ग:https://www.edufoxindia.org/shop/page/2?
      • प्रोफेसर बनने का रास्ता: असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए, लंबे समय में एसोसिएट प्रोफेसर और फिर पूर्ण प्रोफेसर बनने का मार्ग खुलता है। यह एक अकादमिक करियर का चरम बिंदु होता है और इसके साथ अकादमिक समुदाय में उच्चतम सम्मान मिलता है।
      • अंतरराष्ट्रीय कार्य और सहयोग: असिस्टेंट प्रोफेसर को अक्सर अपनी विशेषज्ञता में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने, अन्य संस्थानों के साथ सहयोग करने और वैश्विक अनुसंधान प्रयासों का हिस्सा बनने का अवसर मिलता है।
      • प्रशासनिक पदों की संभावना: कुछ समय बाद, एक असिस्टेंट प्रोफेसर को विभागाध्यक्ष, डीन, या अन्य शैक्षिक प्रशासनिक पदों पर भी पदोन्नति मिल सकती है, जिसमें उन्हें संस्थान के प्रशासनिक कार्यों में हिस्सा लेना होता है।
    • वेतन और लाभ:
    • असिस्टेंट प्रोफेसर के वेतन की सीमा क्षेत्र, संस्थान, और देश के आधार पर भिन्न हो सकती है। हालांकि, अधिकांश विश्वविद्यालयों में स्वास्थ्य बीमा, शैक्षिक छुट्टियाँ, और पेंशन योजनाएँ जैसी सुविधाएँ मिलती हैं। कुछ विश्वविद्यालय शोध कार्य के लिए विशेष अनुदान भी प्रदान करते हैं।
    • अंतिम विचार:
    • असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में काम करना चुनौतीपूर्ण और पुरस्कृत दोनों हो सकता है। यह एक युवा और गतिशील शैक्षिक पेशेवर के लिए उत्तम शुरुआत है, जो न केवल अपने शैक्षिक योगदान को साकार करता है, बल्कि छात्रों, संस्थान और समाज के लिए भी महत्वपूर्ण बदलाव लाने की क्षमता रखता है।
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